शनिवार, 31 मई 2008
आज कल
छत्तीसगढ़ मे शोषित पीड़ित मानवता की रक्षा के लिए ,यहाँ की संस्कृति की अनुरक्षण करने के लिए कुछ ठोस पहल करने की आवश्यकता है , आजकल देखने मे आ रहा है की हर गाँव मे अलग अलग सामाजिक भवनों की मांग की जाती है ,जाहीर सी बात है , भवन का उपयोग सिर्फ़ उस जाती विशेष द्वारा की जायेगी , एक ही गाँव मे कितने ही जाती समाज के लोग रहते है तो क्या हर जाती के लिए अलग भवन बनाया जाना उचित है ,ऐसे अलग अलग भवन बनने से जातिगत सामंजस्य जो छत्तीसगढ़ की विशेषता है खोने का डर बना रहेगा , क्या एक गाँव मे एक मंगल भवन नही बना देना चाहिए जिसका हर जाती समाज के लोग उपयोग कर सके ,और यह सोचने की बात है कि साल मे कितना उपयोग उस भवन का किया जाता है ,इसलिए अलग २ भवन बनाया जाना उचित नही है ,
जिले स्तर पर जरुर यह किया जाना चाहिए ताकि उस समाज जाती की बैठक ,कार्यालय का काम या छातारावास ,प्रशिक्षण केन्द्र ,आदि गतिविधियों का संचालन हो ,लेकिन देखा जाता है कि दो चार शादी विवाह के अलावा कोई भी उपयोग इन भवनों का नही किया जाता ,
कुछ वर्षो से यह भी देखने आ रहा है कि कुछ लोग अपने अपने समाज मे संगठन मे कुछ पद हथिया लेते है ओर उसका उपयोग स्वंम की राजनीतिक गतिविधियों के संचालन के लिए करते है ,जातिगत मंच का उपयोग राजनीतिक स्वार्थ सिध्दी के लिए किया जाता है चुनाव के समय किसी न किसी राजनीतिक दल से जुड़कर समाज के लोगो को फतवा जरी करते है कि अमुक को समर्थन करो , क्या जातिगत मंचो का उपयोग इस तरह किया जाना ग़लत नही है , हर व्यक्ति की अपनी अलग राजनीतिक सोच हो सकती है ओर हर राजनीतिक दलों मे हर जाती वर्ग के लोग है ऐसे मे निहित स्वार्थ के लिए इस तरह का हथकंडा अपनाया जाना उचित नही है ।
शिक्षा कर्मी भर्ती परीक्षा का परिणाम घोषित
छत्तीसगढ़ व्यासायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित शिक्षा कर्मी भर्ती परीक्षा के परिणाम आज घोषित कर दिए गए । उक्त परीक्षा मे छ ग के लाखो परीक्षार्थी ने भाग लिए थे ,अभी सिर्फ़ मेरिट लिस्ट केटेगरी वार एवम जिलेवार घोषित किया गया है , अब देखना यह है कि भर्ती निष्पक्ष की जाती है अथवा डीएड ,बी एड ,के नाम से मेरिट लिस्ट मे हेर फेर किया जाता है क्योकि अभी परिणाम मे यह स्पष्ट नही हो रहा है। दुसरी बात यह भर्ती जनपद वार जिलेवार की जानी है जिससे पुनः पुरानी स्थिति बन सकती है जिसमे अभ्यर्थियों को दस्तावेजों एवम अन्क्सुचियो की जांच आदि तथा डी एड बी एड के नाम से आगे पीछे कर हेरा फेरी की जा सकती है , ग्रामीण क्षेत्रो मे कई दलाल किस्म के व्यक्ति अभ्यर्थियों से वसूली कर रहे ऐसी अफवाहे भी जोरो सी थी ,अब देखना यह है कि आगे नियुक्ति कितनी पक्सफ़ होती है या ये भी भ्र्स्ताचार की भेंट चढ़ जायेगी । परिणाम www.cgvyapam.in पर देखी जा सकती है ।
शुक्रवार, 30 मई 2008
cgbse द्वारा १० वी के परिणाम की घोषणा आज
http://cgbse.org
पर आप परिणाम देख सकते है ,इसके अतिरिक्त मोबाइल पर भी परिणाम जाना जा सकता है ।
बुधवार, 28 मई 2008
दुर्ग छत्तीसगढ़: धान का कटोरा ओर तीन रुपया का चावल
मंगलवार, 27 मई 2008
धान का कटोरा ओर तीन रुपया का चावल
हमारे प्रदेश मे विकास यात्रा चल रही है ,तपती धुप मे हमारे मुखिया जी घूम रहे है सुदूर बस्तर से मैदानी इलाको तक,चिलचिलाती धुप,पसीने से सरोबर माथे मे चिंता की लकीर, प्रदेश के लोगो की या आने वाले चुनाव की ये तो कोई नही जनता पर कुछ लकीरे अवश्य है,हमारे प्रदेश मे जी हा धान के कटोरे या चावल के कटोरे वाले प्रदेश मे आजकल ३ रुपया वाले चावल की ही चर्चा है ,
अब ये तो हमारे मुखिया जी ही जानते होंगे कि ऐसी क्या परिश्थीति आ गई की प्रदेश मे बी पी एल गरीबी रेखा वाले लोगो की संख्या बढ़ गई ओर बढ़ते जारही है ओर हमारे मुखिया जी उनको ३ रूपये मे चावल बाटकर खुश हो रहे चावल के देश मे चावल के लिए क्यो लोग तरस रहे ,वो भी तीन रूपये वाली चावल के लिए,अभी कुछ दिनों पहले तक यही ३रुप्ये वाली चावल को हमारे ज्ञानवान क्षमता से परिपूर्ण अधिकारियो ने प्लास्टिक के पैकेटों मे पैक कर बाट रहे थे अब यह बात हमारे जैसे लोगो को क्या समझ मे आयेगी कि जमाना बदल गया है वैज्ञानिक क्रांती आ चुकी है हो सकता है अब कोई उच्च तकनिकी आई हो जिससे चावल बंद पैकेट मे भी ख़राब नही होती हो,
अब हमारे मुखिया जी धमतरी जिले के नगरी इअलाके मे जोर शोर से एक दुसरे प्रदेश के नेता के स्टाइल मे भाषण दे रहे है वही ३ रपये मे चावल वाली बात को दहाड़ने जैसे बोल रहे, अब सही ही है जब चावल के सबसे अधिक उत्पादन का रिकार्ड बनने वाले जिले को ३ रूपये मे चावल खाने की मजबूरी आ गई तो बाकी को तो खाना ही पडेगा,
जब नगरी दुबराज जिसकी सुगंध की महक विदेशो मे भी जाती थी उन्हें भी ३ रूपये मे चावल खाने की स्थिति है तो कोदो कुटकी वाले बस्तेरिया को तो खाना ही होगा,
रोजगार कब ओर कैसे
रोजगार मिलेगा ?क्यो नही ?छत्तीसगढ़ मे इन दिनों रोज अखबारों मे कोई न कोई विज्ञापन दिखायी देते है ,भले ही यहाँ की पी एस सी बदनाम हो चुकी हो ,भर्ती पर घोटालों के आरोप लग रहे हो , पर यहाँ की सरकार इन सबके बावजूद भर्ती पर तुली हुई है ? क्यो मालूम है ? क्योकि इसी बहाने वह बेरोजगारों को लुभाना चाह रही , दुसरे इससे अप्रत्यक्ष रूप से कुछ लोगो को काम मिल जा रहा , जो आगामी चुनाव मे काम आयेंगे ? है न यही बात ?
शुक्रवार, 23 मई 2008
विकास यात्रा या चुनावी यात्रा
सच कहा जाए तो इन कुछ वर्षो मे जनता को लुट खसोट कर अपनी अंटी भरने वालो का ही विकास हुआ है सत्ता के इर्द गिर्द के दलालों ने ऐसी लुट मचाई के प्रदेश की जनता को न दाल भात केन्द्र मे न दाल दिखायी दे रही न भात ,लेकिन उसके नाम से बकायदा चावल दिया जा रहा ,आख़िर कहा जा रहा ये चावल ?
प्रस्तुतकर्ता devlal thakur देवलाल ठाकुर पर 10:37 PM 0 टिप्पणियाँ इस संदेश के लिए लिंक
या शिक्षा कर्मी ,पुलिस भर्ती ,मे बेरोजगारों को लुटने वालो का ?<
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लेबल: शिक्षा कर्मी
मंगलवार, 13 मई 2008
प्रायः देखा जाता है की राज्यों मे आसीन सरकार केन्द्र पर भेदभाव का आरोप लगाकर विकास योजनाओ के लिए वित्त आबंटन मे अनियमितता का आरोप लगती है ,किनु इन सबसे हटकर वर्तमान केन्द्र शासन ने राज्यों को भरपूर वित्तीय मदद की है ,फिर भी छत्तीसगढ़ की सरकार केन्द्र की योजनाओ मे रूचि नही लेती है अऔर् रोती कलपती रहती है क्यो ?मात्र अपने राजनीतिक हितों के लिए जनता को मिलने वाली विकास योजनाओ के लाभ से वंचित कर रही है ,इसका सबसे बड़ा उदाहरण रोजगार गारंटी योजना है जिसमे वर्तमान राज्य सरकार क्रियान्वयन मे अरुचि दिखा रही है,यदि इस योजना को सही ढंग से प्रदेश मे लागू किया जाए तो किसी भी मजदूर को पलायन के लिए मजबूर नही होना पड़ेगा ,तथा बारहों माह रोजी मजदूरी का अवसर मिलेगा साथ ही प्रदेशमेअधोसर्चनाके विकास गाव तक होगा, हर वर्ष केन्द्र की योजनाओ का अरबो रुपये लैप्स करने से यह प्रतीत होता है यहाँ की सरकार को विकास से कोई लेना देना नही है बल्कि मात्र अपने राजनीतिक हितों के लिए जनता को लाभो से वंचित रखेगे ।
चाहे कोई भी सरकार रहे किंतु जनता के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए किंतु यहाँ की सरकार सिर्फ़ अपने राजनीतिक हितों को देख रही है ,आदिवासी योजनाओ के लिए प्रदेश को आबंटित पैसो का क्या उपयोग होता है वह तो पता ही नही चलता है, यह की सरकार सिर्फ़ केन्द्र द्वारा दी गई सहायता से निर्मित भवनों इमारतों पुलों सडको के आगे अपना नाम पट्टिका लगाकर उदघाटन करना जानती है ताकि जनता को भ्रमित किया जा सके , रोजगार गारंटी योजना के संचालन मे कोताही करने से भी यह प्रतीत होता है कि यह सरकार कल्याणकारी योजनाओ के संचालन मे कोई दिलचस्पी नही रखती ।
राज्यों मे चल रही अधिकांश योजनाये केन्द्र सरकार की योजना है,चाहे महिला एवम बाल विकास विभाग हो या आदिवासी कल्याण की । नाबार्ड के माध्यम से भी सहकारी ऋण अनुदान आदि दिए जा रहे है ,प्रदेश की सड़के सिर्फ़ केन्द्र के दिए पैसो से ही चमचमा रही है ,११वे वित्त आयोग के पैसो से प्रदेश की पंचायते काम कर रही ,सम विकास योजना की जगह वर्तमान मे एक नवीन योजना लागु की गई है , कृषि के विकास के लिए विभाग को प्रदत्त अधिकांश वित्तीय मदद केन्द्र के ही है, फिर सवाल पैदा होता है कि यहाँ की सरकार क्या कर रही ? यदि कुछ नही कर रही उसका क्या कारण है ? क्यो नही करना चाहती ?
मंगलवार, 6 मई 2008
सोमवार, 5 मई 2008
दुर्ग की धरोहर
अऔर् अब .......
इतिहास का किताब ,अब नही रहेगा कोरा ,
एक नई इबारत लिखने को, तैयार है अरुण वोरा ।
युवा पीढी के साथ ,दुर्ग की जनता की सेवा के लिए अरुण वोरा जी हमेशा संघर्ष करते आए है,बिना किसी लाग लपेट के ,कर्म करने के लिए वे हमेशा तत्पर रहे है, जब लोग छोटे छोटे काम के लिए प्रचार के भूखे रहते है ,वही श्री अरुण वोरा जी ने बड़े बड़े काम बिना किसी ताम झाम के दुर्ग के जनता के हित मे अपनी चिरपरिचित शैली मे करते आए है, अऔर् यही बात दुर्ग की जनता के प्रति उनकी सवेंदनाओ को दिखलाती है।
तस्वीरे भी बोलती है ..........
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