रविवार, 22 जून 2008

वादा किया तो निभाना भी सीखो

हाल के दिनों मे यह देखने मे आया है कि नेता गण चुनाव के समय जोर शोर से वादे कर जाते है किंतु जब वादे पूरे करने की बारी आती है तो मुकर जाते है,यह कभी २ गले की हड्डी का फाँस भी बन जाता है जैसे अभी रानी साहिबा को हो गया है,गुर्जर समुदाय को अ जजा समुदाय मे शामिल करने का वचन देकर उन्होंने पूरे देश मे अशांति का सूत्रपात कर दिया है और कितनी ही मासूम जाने चली गई,चुनाव जीतने के लिए अनाप शनाप बोलने की रीति पर प्रतिबन्ध लगना चाहिए और चुनावी घोषणापत्रों को लागू करना पूरा करना अनिवार्य किया जाना चाहिए ताकि नेताओ की बेसिपैर बोलने की आदत पर लगाम लगाया जा सके।छत्तीसगढ़ मे ही चुनाव के पूर्व वर्तमान कर्ताधार्ताओ ने बेरोजगार युवा युवतियों को ५०० रु बेरोजगारी भत्ता,हर आदिवासी परिवार को गाय,दाल भात केन्द्र ,लघु सीमांत किसानों को कर्जा माफ़,प्रत्येक आदिवासी परवर के एक व्कती को नोअकरी ,भू भटक की समाप्ति और न जाने कितने वादे किए थे किंतु किसी भी वादे को अस्लिजामा नही पहना सके कुछ करनी की कोशिश भी कि तो सिर्फ़ दिखावटी.

ठाठापुर से रामपुर

हिंदूस्थान मे आजकल नाम बदलने की परिपाटी चल रही है कभी का बम्बई अब मुम्बई हो गई है,अब उडीसा का ओड़ीसा किया जा रहा,उड़िया भाषा भी अब ओडिया कहलायेगी,छत्तीसगढ़ के सी ऍम ने भी अपने गाँव का नाम ठाठापुर से रामपुर कर लिया है,पहले लोग कहते थे कि नाम मे क्या रखा है,काम से आदमी जाना जाता है पर अब के राजनेता सिर्फ़ नाम बदलना ही जानते है,काम भले कोडी का न करे।

फर्जी जाती प्रमाण पत्र वाले लोगो पर कार्यवाही

फर्जी जाती प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी एवं राजनीति-
फर्जी जाती प्रमाण पत्र के आधार पर कुछ लोगो द्वारा आज कल एन केन ढंग से नौकरी प्राप्त कर ली जाती है और उस वर्ग के हितों को कुठाराघात करते रहते है,एस टी, एस सी की फर्जी जाती प्रमाण पत्र के आधार पर कई लोग नौकरी कर रहे है, इनके विरुध्द सख्त कार्यवाही की आवश्यकता है तभी इनके ऊपर रोक लगाई जा सकती है ,कई लोग तो इसके सहारे अच्छे २ पड़ पर चयनित होकर उच्च पदों पर कार्य कर रहे , भिलाई इस्पात सयंत्र मे न जाने कितने ऐसे लोग होंगे ,देखा तो यह जाता है की उच्च वर्ग के अफसर ही ऐसे कांड मे लिप्त है और फर्जी जाती प्रमाण पत्र बना के एस टी एस सी के हितों पर कुठारा घात कर रहे।

दुर्ग जिले की राजनीति

राजनीतिक रूप से दुर्ग जिला जागृत प्रदेश है ,यहाँ की राजनीतिक गलियारों मे सभी दल पार्टी के दलगत राजनीतिक नेताओ मे टिकिट के दावेदार नेता ज्यादा दिखायी देते है ,और पार्टी संगठन की मजबूती के लिए कम ,आज की स्थिति मे तो राजनीति मे आए दो दिन हुए नही की अपने आपको टिकिट के दावेदार समझने लगते है ,एक बार पञ्च या पार्षद बन जाए तो फिर अपने आपको विधायक संसद का दावेदार समझने लग जाते है उनकी न तो पार्टी कार्यकर्ताओ मे पकड़ होती है ना ही आम जनता मे ,वे तो बस अपने आपको बहुत बड़े नेता समझते है ,ऐसे लोगो को किसी भी दल मे प्रोत्साहन नही देना चाहिए ,

सोमवार, 16 जून 2008

विकास यात्रा या चुनाव सभा


मंगलवार, 10 जून 2008

उडीसा का नम अब ओड़ीसा

हिंदू स्थान मे आजकल नाम बदलने की परिपाटी चल रही है कभी का बम्बई अब मुम्बई हो गई है,अब उडीसा का ओड़ीसा किया जा रहा,उड़िया भाषा भी अब ओडिया कहलायेगी,छत्तीसगढ़ के सी ऍम ने भी अपने गाँव का नाम ठाठापुर से रामपुर कर लिया है,पहले लोग कहते थे कि नाम मे क्या रखा है,काम से आदमी जाना जाता है पर अब के राजनेता सिर्फ़ नाम बदलना ही जानते है,काम भले कोडी का न करे।

चुनावी वादों पर अमल क्यो नही

हाल के दिनों मे यह देखने मे आया है कि नेता गण चुनाव के समय जोर शोर से वादे कर जाते है किंतु जब वादे पूरे करने की बारी आती है तो मुकर जाते है,यह कभी २ गले की हड्डी का फाँस भी बन जाता है जैसे अभी रानी साहिबा को हो गया है,गुर्जर समुदाय को अ जजा समुदाय मे शामिल करने का वचन देकर उन्होंने पूरे देश मे अशांति का सूत्रपात कर दिया है और कितनी ही मासूम जाने चली गई,चुनाव जीतने के लिए अनाप शनाप बोलने की रीति पर प्रतिबन्ध लगना चाहिए और चुनावी घोषणापत्रों को लागू करना पूरा करना अनिवार्य किया जाना चाहिए ताकि नेताओ की बेसिपैर बोलने की आदत पर लगाम लगाया जा सके।
छत्तीसगढ़ मे ही चुनाव के पूर्व वर्तमान कर्ताधार्ताओ ने बेरोजगार युवा युवतियों को ५०० रु बेरोजगारी भत्ता,हर आदिवासी परिवार को गाय,दाल भात केन्द्र ,लघु सीमांत किसानों को कर्जा माफ़,प्रत्येक आदिवासी परवर के एक व्कती को नोअकरी ,भू भटक की समाप्ति और न जाने कितने वादे किए थे किंतु किसी भी वादे को अस्लिजामा नही पहना सके कुछ करनी की कोशिश भी कि तो सिर्फ़ दिखावटी.

खसरा, बी-वन तथा नक्शे की नि:शुल्क प्रतिलिपियां वितरण की योजना
छत्‍तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की घोषणा के अनुरूप किसानों को उनकी जमीन का खसरा, बी-वन तथा नक्शे की नि:शुल्क प्रतिलिपि वितरण की कार्रवाई पूरे प्रदेश में चल रही है। इस योजना के तहत पिछले माह किसानों को उक्त तीनों महत्वपूर्ण दस्तावेजों की 93 लाख 10 हजार 370 प्रतिलिपियां वितरित की गई। इनमें 59 लाख 70 हजार 89 खसरा, 22 लाख 21 हजार 618 बी-वन तथा ग्यारह लाख 18 हजार 663 नक्शे की प्रतिलिपियां शामिल हैं। लेकिन उक्त दस्तावेज दिए जाने के आंकडे कितने विस्व्श्नीय है यह लोगो को पटवारियो तःसिलो जिला कार्यालयों के चक्कर काटते देख हो जाती है,

पेट्रोल डीजल मूल्य वृध्दि

पेट्रोल एवम डीजल के मूल्य वृध्दि के करण पुरा देश चिंतित दिखायी दे रहा है,बढ़ती मंहगाई मे इस व्र्ध्दी से आम जन खासे चिंतित नजर आ रहे,निश्चय ही आम लोगो का बजट इससे प्रभावित होगा,पेट्रोल और डीजल हमारे देश मे सब्सीडी के कारण ही आम लोगो की पहंच के अन्दर है वरना आयातित मूल्य पर ना जाने क्या हालत होगी,पेट्रोल देशो द्वारा पेटोलियम उत्पादों की मूल्य वृध्दि करके मुनाफा कमाने की होड़ ने सभी देशो को चिंतित कर दिया है,अभी जैव इंधन का विकास इतना नही हुआ है कि पुरी मांग की पूर्ति उससे कर दिया जाए,इस व्र्ध्दी से एनी सामग्रियों का दाम भी बढेगा और पेट्रोलियम उत्पादन करता देशो को जो किपेट्रोल के अलावा अन्य जिंसों के आयत पर ही निर्भर है ,को ऊँचे दामो पर खाद्य और अन्य वस्तुए खरीदनी होगी ,कुल मिलाकर हिसाब बराबर हो जाएगा पर इस असंतुलन से गरीब इंसानों को मुश्किलात का सामना करना पड़ेगा जो सोचनीय है,

आदिवासी वर्ग को आपत्ति

इधर बस्तर मे पूर्व कलेक्टर और वर्तमान बस्तर कमिश्नर गणेश शंकर मिश्रा के द्वारा सरकारी वेब साइट मे घोटुल के बारे मे आपत्तिजनक लेख लिखने के कारण आदिवासी वर्ग के लोगो ने आन्दोलन छेड़ रखा है तथा उक्त अधिकारी से माफी मांगने की मांग कर रहा है,एक स्थानीय भाजपा नेता तो इस मुद्दे को जातिगत लड़ाई करार देने की फिराक मे है और इस आन्दोलन के पीछे अजीत्जोगी की भूमिका बता रहे है,साथ ही स्थानीय अधिकारी कर्मचारी गण को भी इस आन्दोलन मे मदद करने का आरोप लगाया है उनका आरोप कितना सही है यह तो वो ही जाने किंतु जातिगत विश्वमन किया जाना इस आन्दोलन और प्रदेश की संस्कृति के विरुद्ध होगा,और यह किसी भी कोअम के लिए ठीक नही कहा जा सकता,

सोमवार, 9 जून 2008

अख़बार की कतरनों मे छत्तीसगढ़ की खबर

छत्तीसगढ़ मे शिक्षा व्यवस्था की बदहाली अखबारी कतरनों मे भी साफ झलक रही है,उसी प्रकार विकास यात्रा मे सी ऍम के गृह जिले मे छोटे २ बच्चो महिलाओ को रात मे घंटो सड़क किनारे खड़ा रखकर भीड़ बढ़ाने का प्रयास किया जाना ,उन्हें भूखो रखकर तडपाना आज की विकृत राजनीतिक मानसिकता का द्योतक है,उक्त समाचार कवर्धा से ठाठा पुर के बीच सी ऍम के विकास यात्रा का है,आधी अधूरी भवनों आदि का उद्घाटन सिर्फ़ जनता को दिखाने भर के लिए कर दिया जाता है,

गुरुवार, 5 जून 2008

शिक्षा कर्मी भर्ती :मायूस चेहरे

बड़े जोरशोर से शिक्षा कर्मी भर्ती की परिक्षा का रिजल्ट आया ,बेरोजगार युवा युवतिया हजारो की भीड़ मे नेट मे नाम तलाशते रहे ,लेकिन उनका रेंक देख के मायूस होते जा रहे ,भर्ती परीक्षा को भी सरकार यदि आय का स्रोत मानकर भरी भरकम फीस उगाही करे और अंत मे आवेदक के हाथो सिर्फ़ मार्क सीट मिले और चयन सिर्फ़ २ - ४ का हो तो उनका मायूस होना जायज ही है ,क्या सरकार को वर्गवार इतनी फीस अलग अलग लेनी चाहिए की बेरोजगारों को फार्म भरने से पूर्व सोचना पड़े?

रायपुर मे एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ है जो फर्जी बी एड एवम दी एड की अन्क्सुची थोक मे बेच रहा है,


बुधवार, 4 जून 2008

ब्लाग मे छत्तीसगढ़

ब्लोअग मे छत्तीसगढ़ अब दिखायी देने लगा है ,कुछ समय पहले नेट मे छत्तीसगढ़ सर्च करने पर सिर्फ़ एन आई सी की साईट दिखती थी लेकिन अब वह बात नही रही बल्कि यहाँ के मूर्धन्य साहित्यकार सवाद्दाता ओ ने जो प्रयास किया है वह सराहनीय है,संदीप तिवारी जी का का आज साईट देखा जो विविधता से परिपूर्ण एवम कलात्मक है उसी प्रकार जय छत्तीसगढ़ ,छत्तीसगढ़ नामक ब्लॉग भी अच्छे लगे .
अब देखना यह है कि नवान्गुतुक ब्लाग लेखकों को हम कैसे सहयोग दे कि छत्तीसगढ़ की विविध्ताओ से परिपूर्ण संस्कृति की झलक नेट मे मिले ,हो सकता है विचारो मे मतभेद हो लेकिन हम सभी का प्रयास छत्तीसगढ़ की बहुल वादी संस्कृति जो सभी लोगो को आत्मसात कर लेती है की तरह एक दुसरे के साथ सामंजस्य भाईचारा के साथ आगे बढ़ाने का प्रयास करना होगा।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस की एका :भाजपा की बैचेनी

अब देखना यह है कि कांग्रेस की भी यह एकता सिर्फ़ दिखावा है या चुनाव के समय तक यह एकता कायम रहती है,क्योकि अनेको गुटों मे फंसे पार्टी के लोग दल के पहले अपने नेता को प्राथमिकता देते है। निचले स्तर पर कार्यकर्ताओ को भी सक्रीय करने की आवश्यकता होगी वरना यह एकता कही शो बाजी ही न रह जाए। छत्तीसगढ़ मे दरअसल सभी दलों मे शहरी नेताओ को प्राथमिकता दी जा रही ओर ग्रामीण कार्यकर्ताओ की उपेक्षा । यह यहाँ की बहुत बड़ी विडम्बना है । कर्मठ कार्यकर्ता इस परिपाटी से बहुत परेशां भी है । भाजपा मे रमन संघ के नेतृत्व मे चुनाव लड़ा जाना लगभग तय ही है जिसका फायदा भी उन्हें होगा जबकि कांग्रेस मे किसके नेतृत्व मे चुनाव लड़ा जायेगा यही तय नही है,सामुहिक नेतृत्व की परिकल्पना सार्थक होती है या नही यह समय ही बताएगा ।


शिक्षा कर्मी भर्ती परिक्षा संदेहास्पद :छत्तीसगढ़

शिक्षा कर्मी भर्ती परीक्षा की विश्वनीयता संदेह के घेरे मे है,विगत दिनों नेट मे घोषित उक्त परिक्षा के परिणाम दुसरे दिन हटा दिए गए तथा यह कहा जा रहा है कि कुछ सुधर कार्य किए जा रहे,वही उक्त रिजल्ट मे सिर्फ़ रेंक दिखा दिया गया था जिससे यह स्पष्ट नही हो पा रहा कि किसका चयन हुआ किसका नही,अब वो भी हटा के व्यपम पता नही क्या कर रही ,छत्तीसगढ़ के परीक्षार्थी वैसे भी सरकार की भर्ती के तरीको से असंतुष्ट हो गई है,बोर्ड परिक्षा हो या पी एस सी सभी जगह खुलेआम भ्र्ताचार किया जा रहा,

दुर्ग शहर युवा कांग्रेस अब हाई टेक

युवा कांग्रेस की दिल्ली से आयी सुश्री चयनिका उन्याल द्वारा गत दिनों १ मई २००८ को युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओ की बैठक ली जिसमे अधिक से अधिक लोगो को युवा कांग्रेस से जोड़ने के लिए अभियान छेड़ने ओर जन समस्याओ को पुरजोर तरीके से उठाने का निर्णय लिया गया ,छत्तीसगढ़ मे दुर्ग शहर युवा कांग्रेस अब इ मेल ,ओर इंटरनेट ,मोबाइल ,का उपयोग सदस्यता अभियान के लिए करेगी ,छत्तीसगढ़ मे युवा वर्ग की अवहेलना ओर भर्ती मे भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उक्त बैठक मे छाया रहा ,छत्तीसगढ़ की वर्तमान बी जे पी सरकार द्वारा बेरोजगारों को भी नही छोड़ा है ओर आवेदन पत्रों को भी कई गुना ज्यादा रेट पर बेचा जा रहा है , उसी प्रकार कालेजो मे भी फीस को बढ़ा दिया गया है ,अब बेरोजगार व्यक्ति कहा से इतना पैसा ला कर आवेदन पत्र खरीदेगा ?क्या सिर्फ़ अमीर लोग ही बी जे पी के लिए आवेदन के पात्र है बाकी गरीब बेकार है?"इन सब मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठाकर विरोध करने का निर्णय लिया गया ,उक्त बैठक मे श्री अरुण वोरा एवम देवलाल ठाकुर शहर युवा कांग्रेस अध्यक्ष उपस्थित थे।

सोमवार, 2 जून 2008

दुर्ग छत्तीसगढ़#links

दुर्ग छत्तीसगढ़#links

रविवार, 1 जून 2008

आँग सू की की रिहाई क्यो नही

हमारे पड़ोसी देश बर्मा मे कई वर्षो से सैनिक तानाशाही का तांडव चल रहा है ,हाल मे आए तूफान ने उनकी कमर तोड़ दी है, महात्मा गाँधी के मार्ग पर चलते हुए वहा की नेता आँग सु वर्षो से लोक तंत्र की बहाली के लिए लड़ रही पर उन्हें सैनिक तानाशाहों ने नजरबन्द कर रखा है कितने ही वर्षो से वह जेल की सलाखों मे है पर हमारी मीडिया ने कभी इसे प्रमुखता नही दी , क्या एक पड़ोसी देश होने के नाते हमारा धर्म नही कि हम भी वंहा की लोकतंत्र की बहाली का समर्थन करे ,या सिर्फ़ सिर्फ़ आपदा या कोई बड़ी घटना होने पर ही उनकी ख़बर दे .

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