मंगलवार, 27 मई 2008

धान का कटोरा ओर तीन रुपया का चावल

धान का कटोरा या कटोरे मे ३ रुपया का चावल
हमारे प्रदेश मे विकास यात्रा चल रही है ,तपती धुप मे हमारे मुखिया जी घूम रहे है सुदूर बस्तर से मैदानी इलाको तक,चिलचिलाती धुप,पसीने से सरोबर माथे मे चिंता की लकीर, प्रदेश के लोगो की या आने वाले चुनाव की ये तो कोई नही जनता पर कुछ लकीरे अवश्य है,हमारे प्रदेश मे जी हा धान के कटोरे या चावल के कटोरे वाले प्रदेश मे आजकल ३ रुपया वाले चावल की ही चर्चा है ,
अब ये तो हमारे मुखिया जी ही जानते होंगे कि ऐसी क्या परिश्थीति आ गई की प्रदेश मे बी पी एल गरीबी रेखा वाले लोगो की संख्या बढ़ गई ओर बढ़ते जारही है ओर हमारे मुखिया जी उनको ३ रूपये मे चावल बाटकर खुश हो रहे चावल के देश मे चावल के लिए क्यो लोग तरस रहे ,वो भी तीन रूपये वाली चावल के लिए,अभी कुछ दिनों पहले तक यही ३रुप्ये वाली चावल को हमारे ज्ञानवान क्षमता से परिपूर्ण अधिकारियो ने प्लास्टिक के पैकेटों मे पैक कर बाट रहे थे अब यह बात हमारे जैसे लोगो को क्या समझ मे आयेगी कि जमाना बदल गया है वैज्ञानिक क्रांती आ चुकी है हो सकता है अब कोई उच्च तकनिकी आई हो जिससे चावल बंद पैकेट मे भी ख़राब नही होती हो,
अब हमारे मुखिया जी धमतरी जिले के नगरी इअलाके मे जोर शोर से एक दुसरे प्रदेश के नेता के स्टाइल मे भाषण दे रहे है वही ३ रपये मे चावल वाली बात को दहाड़ने जैसे बोल रहे, अब सही ही है जब चावल के सबसे अधिक उत्पादन का रिकार्ड बनने वाले जिले को ३ रूपये मे चावल खाने की मजबूरी आ गई तो बाकी को तो खाना ही पडेगा,
जब नगरी दुबराज जिसकी सुगंध की महक विदेशो मे भी जाती थी उन्हें भी ३ रूपये मे चावल खाने की स्थिति है तो कोदो कुटकी वाले बस्तेरिया को तो खाना ही होगा,


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